Tanhai Poetry With Image
ना मिलता है कोई हमारा बन कर,
जो मिलता है..मिलता है किनारा बन कर,
एक तन्हाई रहती है साथ मेरे
मेरे जीने का सहारा बन कर.
गैर तो गैर होते है,
अपने भी रहते दूर गैर बन कर,
एक तन्हाई रहती है साथ मेरे
मेरे जीने का सहारा बन कर
दुनिया की मुझे परवाह नहीं,
पर वो भी निकल जाते है करीब से अनजान बन कर,
बस एक तन्हाई रहती है साथ मेरे
मेरे जीने का सहारा बन कर.
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